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प्रियंका सिंघल

एम. ए., बीएड

चेयरमेन

डॉ. बलूनी इण्टर कॉलेज, आगरा

हमारी शिक्षा पद्धति


प्रत्येक अभ्यार्थी के पास संसाधन, समय एवं ऊर्जा की एक खास सीमा होती है उन्हें इस सीमित संशाधनों को इस तरह से व्यवस्थित करना पड़ता है ताकि वे जीवन में सफल हों एवं समाज की अग्रणी पक्ति में खड़े हों । उनकी सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि वे कितनी कुशलता के साथ अपने सीमित संशाधनों का सदुपयोग करते हैं। यह तभी सम्भव है जब उनके पास इसके लिए खास रणनीति हो और ऐसी रणनीतियाँ इस तरह के संस्थानों में सीखलाई जाती है। प्रतियोगी परीक्षा पास करना सिर्फ इस बात पर निर्भर नहीं करता है कि आप क्या अथवा कितने पढ़ रहे हैं बल्कि इस बात को भी ध्यान में रखना होता है कि और भी अभ्यर्थी कैसे पढ़ाई करते हैं एवं किस तरीका का इस्तेमाल करते हैं। इन सारी बातों पर विशेष ध्यान दिया जाता हैं ताकि बच्चे आसानी से इन प्रतियोगी परीक्षा में सफल हो जाए। इस तरह के संस्थान लक्ष्य को आसानी से हासिल करने का एक बढ़िया प्लेटफार्म प्रदान करते है। इसमें बच्चे फुलटाइम के लिए स्कूल में रहकर ही बोर्ड परीक्षा एवं प्रतियोगी परी क्षा की तैयारी करते है। दोनों पर ही वे विशेष जोर देते हैं। इस तरह के स्कूल पैटर्न में प्रतियोगी परीक्षा की पूरी तैयारी स्कूल में ही कराई जाती है। यह पूरी पद्धति इस मान्यता पर आधारित होती है कि बोर्ड परीक्षा में अच्छे अंक भी हासिल किए जा सकें साथ ही प्रतियोगी परीक्षा में भी अव्वल स्थान हासिल किया जा सके अर्थात्‌ उसका बोर्ड परीक्षा प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी से बाधित न हो साथ ही साथ उसकी प्रतियोगी परीक्षा बोर्ड परीक्षा की तैयारी से प्रभावित न हो। दौनों की तैयारी एक ही साथ स्कूल में कराई जाती है। पूरी पद्धति ही ऐसी बनाई गई कि दोनों एक दूसरे के पूरक साबित होते है। आजकल ज्यादातर प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल होने का अवसर सीमित कर दिया गया है। जैसे ज्यादातर परीक्षाओं के लिए यह अवसर दो या तीन बार ही दिया जाता है उस परिस्थिति में 12वीं के बाद इन प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने में समयाभाव होता है अत: बुद्धिमानी इस बात में निहित है कि इसकी तैयारी 9 वीं से ही शुरू कर दिया जाए, और वो भी इस पैटर्न में कि अभ्यर्थी बोर्ड परीक्षा में भी अच्छे प्रतिशत अंक लाए एवं प्रतियोगी परीक्षा में भी सफल हो । देर से शुरूआत करने के कारण समय का अभाव हो जाता है उस परिस्थिति में अभ्यर्थियों को बड़े तनाव के दौर से गुजरना पड़ता है किन्तु प्रयास यदि शुरू से ही कर दिया जाए तो उस परिस्थिति में ऐसी नौबत नहीं आती है और वे बड़े आराम से अपने दोनों मुकाम को हासिल कर लेते हैं। यह तरीका उन अभ्यर्थियों के लिए तो रामवाण होता है जो ऐसी परिस्थिति को टेकल करने के लिए विशेषज्ञों का सहारा लेना चाहते हैं और इन विशेषज्ञ की एक पूरी टीम स्कूल में होती है जो उन्हें मुकाम हासिल करने का हुनर सिखलाती है। इस दो साल के कार्यक्रम में उन्हें इस तरह कदम-दर-कदम बढ़ाया जाता है कि वे अपने पहले प्रयास में ही इन प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल होते हैं एवं बोर्ड परीक्षा में अच्छे अंक के साथ उतीर्ण होते हैं। आज के इस प्रतियोगी माहौल में जहाँ समय बचत बड़ा अहम होता है यह जरूरी हो गया है कि आपका प्रयास एक ऐसे विशेषज्ञों की टीम की देखरेख में हो ताकि आप कम समय में बांछित सफलता पा सकें । डॉ. बलूनी इण्टर कॉलेज का यह प्रयास है कि आपके मार्ग में आने वाली हर बाधाओं को दूर किया जा सके।